सोशल मीडिया - फैलता सच या भ्रम जाल ?

कई महानुभाव मीडिया की बुराई -नामा लिखते पढ़ते नहीं थकते उनके अनुसार मीडिया अक्सर खबरों को तोड़ मरोड़कर ही पेश करता है | यह बात सच्चाई से दूर भी नहीं है , इसे यदि संपूर्ण मीडिया घरानों के परिद्रश्य में न देखते हुए कुछ ही तक सीमित कर दिया जाए तो यह बात कहना बे-इमानी भी नहीं लगती है | मीडिया में यह सब हो रहा है ,न्यूज़ अब वियूज़ के रूम में पृस्तुत हो रही है और इसके प्रस्तुतकर्ता बनने की भी बोलिया लग रही है | अब में अपनी बात को लाता हूँ सोशल मीडिया की तरफ , सोशल मीडिया जैसे फेसबुक - फेसबुक सूचना पाने का एक बहुत बड़ा माध्यम बनता जा रहा है | इसमे कोई दो-राय नहीं है , कई लोग जिनमे में भी शामिल हूँ किसी न्यूज़-पोर्टल से ज्यादा फेसबुक पर निर्भर हैं | इस माध्यम में ख़बरों को तोड़-मरोड़ कर प्रतुत नहीं किया जाता , बल्कि यदि ख़बरों को एक पेड़ के परिद्रश्य में सोचें तो ,उसकी जड़ ,डालियाँ ,पत्ती सब कुछ बदल दिए जाते है | इस माध्यम से ज्यादातर खबर आपको संघ , कांग्रेस या बामपंथी द्रष्टिकोण से ही मिलती है | हालाँ...