कई महानुभाव मीडिया की बुराई -नामा लिखते पढ़ते नहीं थकते उनके अनुसार मीडिया अक्सर खबरों को तोड़ मरोड़कर ही पेश करता है | यह बात सच्चाई से दूर भी नहीं है , इसे यदि संपूर्ण मीडिया घरानों के परिद्रश्य में न देखते हुए कुछ ही तक सीमित कर दिया जाए तो यह बात कहना बे-इमानी भी नहीं लगती है | मीडिया में यह सब हो रहा है ,न्यूज़ अब वियूज़ के रूम में पृस्तुत हो रही है और इसके प्रस्तुतकर्ता बनने की भी बोलिया लग रही है | अब में अपनी बात को लाता हूँ सोशल मीडिया की तरफ , सोशल मीडिया जैसे फेसबुक - फेसबुक सूचना पाने का एक बहुत बड़ा माध्यम बनता जा रहा है | इसमे कोई दो-राय नहीं है , कई लोग जिनमे में भी शामिल हूँ किसी न्यूज़-पोर्टल से ज्यादा फेसबुक पर निर्भर हैं | इस माध्यम में ख़बरों को तोड़-मरोड़ कर प्रतुत नहीं किया जाता , बल्कि यदि ख़बरों को एक पेड़ के परिद्रश्य में सोचें तो ,उसकी जड़ ,डालियाँ ,पत्ती सब कुछ बदल दिए जाते है | इस माध्यम से ज्यादातर खबर आपको संघ , कांग्रेस या बामपंथी द्रष्टिकोण से ही मिलती है | हालाँकि इस बात में भी सच्चाई है कि इस माध्यम में और माध्यमों कि अपेक्षा (राजनेतिक ख़बरों को छोड़कर ) ख़बरें ज्यादा विश्वसनीय होती है |चाहे वह असम दंगों कि दास्ताँ हो या असम में ही लड़की के साथ दुर्व्यवहार कि , जिन ख़बरों पर हमारा मान्यताप्राप्त मीडिया सोता रहता है वहां एक फेसबुक यूज़र जागता है | फेसबुक माध्यम से खबर लाखों -करोरों लोगों तक पहुँच पाती है |
अब फिर बात करें भ्रम कि तो भ्रम इस तरीके से फैलाया जाता है कि अच्छा खासा समझदार आदमी भी उसके जाल में फंसने से अपने-आप को रोक नहीं पता है | फोटोशोप द्वारा फोटो को एडिट किया जाता है फिर उन्हें अपलोड किया जाता है किसी को सूअर तो किसी को स्वान बना दिया जाता है , खुले आम मान हनी कि जाती है ,यदि कोई टोके तो अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता का जुमला दे दिया जाता है | दोनों ही माध्यमो में एक जैसी ही हालत है किन्तु सोशल मीडिया में सूचना का पुल एक पत्रकार ही न होकर एक आम आदमी भी होता है | दुसरे शब्दों में कहे तो आम आदमी अब एक सोशल जर्नलिस्ट (सामाजिक पत्रकार ) कि भूमिका निभा रहा है एवं उसने अपने आपको उस भूमिका में ढ़ाल लिया है |
नज़ीर अकबरबादी कि कि नज़्म "आदमी नामा" "में कुछ शब्द जोड़कर अपनी बात का समापन करता हूँ- दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफलिस-ओ-गदा है सो है वह भी आदमी
ज़रदार बनवा है सो है वह भी आदमी
नियामत जो खा रहा है सो है वह भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सो है वह भी आदमी --------
सच बता रहा है सो है वह भी आदमी
भ्रम फैला रहा है सो है वह भी आदमी |
Good comments, on social media you are a real Dirty mind....like Dirty Picture.... in few lines you have narrated the truth of those face book who does not have a mind to mind...keep it up.
ReplyDeletethank you sir ......
Deleteकिसी भी माध्यम को बनाते-बिगाड़ते उसे प्रयोग करने वाले ही हैं. मुझे यह मध्यवर्ग के आईने जैसा लगता है..
ReplyDeleteshat pratishat sehmat
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