मैंने प्रधानमंत्री को गिरते हुए देखा
कुछ साल पहले मैंने एक आदमी को ऊंचे पहाड़ से गिरते देखा, इससे पहले वो नीचे तल तक जाता मैं वहां से निकल लिया। जिसके बाद समय समय पर मैं उस पहाड़ के पास जाता रहा, और हर बार वो आदमी गिरते हुए दिखा लेकिन मैं हर बार की तरह उसके तल तक पहुंचने से पहले वहां से निकल जाता। अब लगभग पांच साल होने को आए मैं फिर से पहाड़ के पास गया वो भी दूरबीन लेकर, इस बार तो तय कर लिया था कि पत लगाकर रहूंगा की कोन है वो आदमी और तली तक पहुंच क्यों नहीं रहा। जब दूरबीन लगाकर देखा तो पत चला वो एक बहुत यानी बहुत ही बड़े देश का प्रधामंत्री है मैं अचंभित हो गया।
है राम! इस महान इंसान को मुक्ति क्यों नहीं मिल रही बेचारा अधर में फंसा है इतने वर्षों से गिरा ही जा रहा है फिर मैने सोचा ये पहाड़ इतना निर्दई कैसे हो सकता है जो ख़तम ही नहीं हो रहा है!
फिर मैंने अपनी दूरबीन को तली की तरफ घुमाया फिर जो मैंने देखा उसके बाद तो होश ही उड़ गए।
मैंने देखा कुछ ढेर सारे लोग पहाड़ के नीचे और गहरा गड्ढा खोदे जा रहे हैं मेरी दिलचस्पी और बढ़ी लेकिन मेरी दूरबीन में इतनी छमता नहीं थी कि वो उन लोगो को देख पाए फिर ने घर वापिस आया और बड़ी दूरबीन लेकर लेकिन थोड़ा थक गया था सोचा टीवी देख लूं, टीवी ऑन करी तो न्यूज चैनल शुरू हुआ, लेकिन न्यूज चैनल देखकर और हैरान हो गया और थोड़ा दर गया फिर मैंने दनादन चैनल घुमाए सभी न्यूज चैनल एक जैसे सभी में न्यूज़ एंकर का शरीर तो भेड़ का था लेकिन शक्ल कुत्ते की थी सभी के मूह से लार टपक रही थी और सभी एक ही बात कह रहे है थे मेरा मतलब भोंक रहे थे "देखिए कैसे हमारे प्रधानमंत्री जी देश के विकास के लिए हवा में उड़ रहे है"
मेरा तो दिमाग ही खराब हो गया अरे मैं उस आदमी को इतने सालों से गिरता हुए देख रहा हूं और ये लोग तो कुछ और ही बोल रहे हैं, खैर मैने सोचा मेरा भ्रम होगा शायद वो उड़ ही रहे हों।
लेकिन ये दिमाग साला कहा मैंने वाला था तुरंत बड़ी दूरबीन उठाई और चल पड़ा पहाड़ पर और जैसे ही मैने तले पर देखा मैं तो और हैरान हो गया,
मैंने देखा नीचे जो लोग खाई को गहरा कर रहे हैं उसी प्रधानमंत्री की पार्टी के हैं और तो और कुछ तो बेचारे कमपढ़े- लिखे बेरोजगार नौजवान भी हैं और जो उन सबको कंट्रोल कर रहा है वो तो उसी पार्टी अध्यक्ष है ।
फिर में काफी देर तक देखता रहा प्रधानमंत्री गिरता जा रहा था मतलब पहाड़ी से, नीचे खुदाई का काम भी जोरों पर था तो समझ गया ये प्रधानमंत्री अभी और गिरेगा।
घर गया टीवी अभी भी चल रही थी कुत्ते के मुंह वाला भेड़ें अभी भी प्रधानमंत्री को उड़ता हुए बता रही थी। मैंने टीवी बंद करी और सी गया।
Note- इसे आप कहानी कह लो या व्यंग इसका किसी से कोई लेना देना नहीं है :p
है राम! इस महान इंसान को मुक्ति क्यों नहीं मिल रही बेचारा अधर में फंसा है इतने वर्षों से गिरा ही जा रहा है फिर मैने सोचा ये पहाड़ इतना निर्दई कैसे हो सकता है जो ख़तम ही नहीं हो रहा है!
फिर मैंने अपनी दूरबीन को तली की तरफ घुमाया फिर जो मैंने देखा उसके बाद तो होश ही उड़ गए।
मैंने देखा कुछ ढेर सारे लोग पहाड़ के नीचे और गहरा गड्ढा खोदे जा रहे हैं मेरी दिलचस्पी और बढ़ी लेकिन मेरी दूरबीन में इतनी छमता नहीं थी कि वो उन लोगो को देख पाए फिर ने घर वापिस आया और बड़ी दूरबीन लेकर लेकिन थोड़ा थक गया था सोचा टीवी देख लूं, टीवी ऑन करी तो न्यूज चैनल शुरू हुआ, लेकिन न्यूज चैनल देखकर और हैरान हो गया और थोड़ा दर गया फिर मैंने दनादन चैनल घुमाए सभी न्यूज चैनल एक जैसे सभी में न्यूज़ एंकर का शरीर तो भेड़ का था लेकिन शक्ल कुत्ते की थी सभी के मूह से लार टपक रही थी और सभी एक ही बात कह रहे है थे मेरा मतलब भोंक रहे थे "देखिए कैसे हमारे प्रधानमंत्री जी देश के विकास के लिए हवा में उड़ रहे है"
मेरा तो दिमाग ही खराब हो गया अरे मैं उस आदमी को इतने सालों से गिरता हुए देख रहा हूं और ये लोग तो कुछ और ही बोल रहे हैं, खैर मैने सोचा मेरा भ्रम होगा शायद वो उड़ ही रहे हों।
लेकिन ये दिमाग साला कहा मैंने वाला था तुरंत बड़ी दूरबीन उठाई और चल पड़ा पहाड़ पर और जैसे ही मैने तले पर देखा मैं तो और हैरान हो गया,
मैंने देखा नीचे जो लोग खाई को गहरा कर रहे हैं उसी प्रधानमंत्री की पार्टी के हैं और तो और कुछ तो बेचारे कमपढ़े- लिखे बेरोजगार नौजवान भी हैं और जो उन सबको कंट्रोल कर रहा है वो तो उसी पार्टी अध्यक्ष है ।
फिर में काफी देर तक देखता रहा प्रधानमंत्री गिरता जा रहा था मतलब पहाड़ी से, नीचे खुदाई का काम भी जोरों पर था तो समझ गया ये प्रधानमंत्री अभी और गिरेगा।
घर गया टीवी अभी भी चल रही थी कुत्ते के मुंह वाला भेड़ें अभी भी प्रधानमंत्री को उड़ता हुए बता रही थी। मैंने टीवी बंद करी और सी गया।
Note- इसे आप कहानी कह लो या व्यंग इसका किसी से कोई लेना देना नहीं है :p
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